नई कहानी कब लिख
नारियल तो फोड़
ज़िंदगी जीने क
प्रकृति की संर
भारत आज भी अंधव
गृहणी होना बेह
बेटा समझ गया, बा
सच्चे दोस्त की
मरोगे बाद में, प
पहले पता तो करो!
खुद्दार बनो, ना
यहाँ कोई किसी क
बच्चों की भलाई
संत तुलसीदास ||
खून का रिश्ता ||
जब ये पृथ्वी जल
सर, आपकी संस्था
जो दूसरों को खु
बच्चों को निडर
सुनो, निब्बों! ||
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