विजय दिवस: न खाने को खाना न पीने को पानी, एक योद्धा से जानें खौफनाक मंजर की दास्तां

विजय दिवस: न खाने को खाना न पीने को पानी, एक योद्धा से जानें खौफनाक मंजर की दास्तां

kargil vijay diwas 2019 special storybr br अंबेडकरनगर। "किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूं, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूं, मुझे अपनी छाती से तू लगा लेना ये भारत मां, मैं अपनी मां की बाहों को तरसता छोड़ आया हूं" शायर की ये चंद पंक्तिया उन वीर जवानों के जज्बात को बयां कर रही हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी कुर्बानी देकर तिरंगा फहराया था। कारगिल दिवस के मौके पर हम आपको यूपी के अंबेडरनगर में रहने वाले सूबेदार इन्द्रजीत यादव से रूबरू करवा रहे हैं। इन्द्रजीत कारगिल के बटालिक द्रास सेंटर में तोलोलिग पहाड़ी पर उन 46 घायल जवानों में शामिल हैं, जिनके लहू की बदौलत आज देश मस्तक गर्व से ऊंचा है।br br br


User: Oneindia Hindi | वनइंडिया हिन्दी

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Uploaded: 2019-07-26

Duration: 01:09