बिन देखे बिन सोचे बिन जाने, सब जानते हो तुम || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)

बिन देखे बिन सोचे बिन जाने, सब जानते हो तुम || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)

वीडियो जानकारी:br br शब्दयोग सत्संगbr १३ मार्च २०१४br अद्वैत बोधस्थल, नॉएडाbr br अष्टावक्र गीता (अध्याय १८ श्लोक २७)br नाविचारसुश्रान्तो धीरो विश्रान्तिमागतः।br न कल्पते न जाति न शृणोति न पश्यति ॥br br अर्थ:br जो धीर पुरुष अनेक विचारों से थककर अपने स्वरूप में विश्राम पा चुका है,br वह न कल्पना करता है, न जानता है, न सुनता है और न देखता ही है॥br br प्रसंग:br क्या सत्य के भी तल होते है?br "बिन देखे बिन सोचे बिन जाने, सब जानते हो तुम" ऐसा क्यों कह रहे है? अष्टावक्रbr सत्य का आभाव कभी नहीं है इसका क्या आशय है?


User: आचार्य प्रशान्त

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Uploaded: 2019-11-27

Duration: 08:18

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