अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो साँवरे || आचार्य प्रशांत: इक मन था मेरे पास, वो अब खोने लगा है

अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो साँवरे || आचार्य प्रशांत: इक मन था मेरे पास, वो अब खोने लगा है

वीडियो जानकारी:br br शब्दयोग सत्संगbr १६ मई, २०१८br अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडाbr br गीत: अँखियों के झरोखों सेbr br अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो साँवरेbr तुम दूर नज़र आए, तुम (बड़ी) दूर नज़र आएbr बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचनेbr मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काएbr अँखियों के झरोखों से…br br इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा हैbr पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा हैbr इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल केbr यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाएbr अँखियों के झरोखों से…br जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पेbr तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पेbr दिन रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्तेbr कहीं अपनी उम्मीदों का, कोई फूल न मुरझाएbr अँखियों के झरोखों से…br br मैं जब से तेरे प्यार के, रंगों में रंगी हूँbr जगते हुए, सोई रही, नींदों में जगी हूँbr मेरे प्यार भरे सपने, कहीं कोई न छीन लेbr दिल सोच के घबराए, यही सोच के घबराएbr अँखियों के झरोखों से…br br कुछ बोल के खामोशियाँ, तड़पाने लगी हैंbr चुप रहने से मजबूरियाँ, याद आने लगी हैंbr तू भी मेरी तरह हँस ले, आँसू पलकों पे थाम केbr जितनी है ख़ुशी, ये भी, अश्कों में ना बह जाएbr अँखियों के झरोखों से…br br कलियाँ ये सदा प्यार की, मुसकाती रहेंगीbr खामोशियाँ तुझसे मेरे, अफ़साने कहेंगीbr जी लूँगी नया जीवन, तेरी यादों में बैठ केbr खुश्बू जैसे फूलों में उड़ने पे भी रह जाएbr अँखियों के झरोखों से…br br गीत: अँखियों के झरोखों से…br संगीतकार: हेमलताbr फ़िल्म: अँखियों के झरोखों से…(1978)br बोल: रविन्द्र जैनbr br br संगीत: मिलिंद दाते


User: आचार्य प्रशान्त

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Uploaded: 2019-11-29

Duration: 01:28:45

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