ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं || आचार्य प्रशांत: मुझको बस इक झलक मेरे दिलदार की मिले (2018)

ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं || आचार्य प्रशांत: मुझको बस इक झलक मेरे दिलदार की मिले (2018)

वीडियो जानकारी:br br शब्दयोग सत्संगbr ३१ मई, २०१८br अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नोएडाbr br गीत: ये दुनिया ये महफ़िलbr br ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहींbr किसको सुनाऊँ हाल-ए-दिल बेक़रार काbr बुझता हुआ चराग़ हूँ अपने मज़ार काbr ऐ काश भूल जाऊँ मगर भूलता नहींbr किस धूम से उठा था जनाज़ा बहार काbr ये दुनिया…br br अपना पता मिले न खबर यार की मिलेbr दुश्मन को भी ना ऐसी सज़ा प्यार की मिलेbr उनको खुदा मिले है खुदा की जिन्हें तलाशbr मुझको बस इक झलक मेरे दिलदार की मिलेbr ये दुनिया…br br सहरा में आके भी मुझको ठिकाना न मिलाbr ग़म को भूलाने का कोई बहाना न मिलाbr दिल तरसे जिस में प्यार को क्या समझूँ उस संसार कोbr इक जीती बाज़ी हारके मैं ढूँढूँ बिछड़े यार कोbr ये दुनिया…br br दूर निगाहों से आँसू बहाता है कोईbr कैसे न जाऊँ मैं मुझको बुलाता है कोईbr या टूटे दिल को जोड़ दो या सारे बंधन तोड़ दोbr ऐ पर्बत रस्ता दे मुझे ऐ काँटों दामन छोड़ दोbr ये दुनिया…br br गीत: ये दुनिया ये महफ़िलbr संगीतकार: मोहम्मद रफीbr फ़िल्म: हीर रांझा (१९७०)br बोल: कैफी आज़मीbr br br संगीत: मिलिंद दाते


User: आचार्य प्रशान्त

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Uploaded: 2019-11-29

Duration: 10:24

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