बाबरी से लेकर जामिया तक, हेट स्पीच के बुरे नतीजे होते हैं

बाबरी से लेकर जामिया तक, हेट स्पीच के बुरे नतीजे होते हैं

जामिया के बाहर हिंदुत्व समर्थक की गोली से अगर शादाब नजर की मौत हो जाती तो क्या इसके जिम्मेदार वो नेता नहीं होते जो नारे लगा रहे थे, “गोली मारो ^&8 को”?br br हां, हेट स्पीच यानी जहरीले भाषण के बेहद खराब नतीजे होते हैं, वो हमें उकसाते हैं कि हम उन लोगों के खिलाफ हिंसा करें जिन्हें वो हमारा दुश्मन बताया जाता है. मौजूदा हालात में अल्पसंख्यकों को हमारा दुश्मन बताया जाता है खासकर मुसलमान और दलितों को.


User: Quint Hindi

Views: 207

Uploaded: 2020-02-08

Duration: 04:27

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