छोटा पड़ रहा जंगल, बढ़ रहा बाघों में टकराव

छोटा पड़ रहा जंगल, बढ़ रहा बाघों में टकराव

br कई बाघ नहीं बना पा रहे टैरेटरीbr इंसानों से भी हो रहा आमना सामनाbr एक ओर रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की संख्या लगातार बढ़ती संख्या वन्यजीव प्रेमियों के मन में खुशी जगा रही है वहीं दूसरी ओर यहीं संख्या अब बाघों के लिए ही खतरा साबित हो रही है। पार्क क्षेत्र में जगह कम पडऩे से इनमें आपसी टकराव की स्थिति पैदा होने लगी है। रणथंभौर नेशनल पार्क में बढ़ती बाघों की संख्या के कारण कई बाघ अपनी टैरेटरी नहीं बना पा रहे हैं और इसी के चलते रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। बाघों के लिए कम पड़ रही जगहbr गौरतलब है कि रणथंभौर में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है जिससे इनके रहने के लिए जगह कम पडऩे लगी है। यहां 55 बाघों के रहने की जगह है, लेकिन 70 बाघ रह रहे हैं। 1734 किलोमीटर रणथंभौर का कुल क्षेत्रफल है। 1392 किलोमीटर बफर जोन और 392 किलोमीटर कोर एरिया है। रणथंभौर में वर्तमान में 24 नर, 25 मादा और 21 शावक रह रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नियमों के तहत यहां अधिकतम 40 बाघ ही रह सकते हैं। बाघों की संख्या अधिक होने के कारण रणथंभौर में 15 बाघों का विचरण जंगल की सीमा के आसपास रहता है। इनमें टी-97, टी-66, टी-62, टी-99, टी-100, टी-110, टी-48, टी-69, टी-96 और टी-108 शामिल है। सामान्य रूप से एक मादा को 20 से 25 वर्ग किमी का क्षेत्र चाहिए एवं नर को 40 से 50 किमी का इलाका। बच्चे जब तक मां से अलग नहीं होते हैं, उनको अलग से जगह नहीं चाहिए। लेकिन रणथंभौर में इनके लिए जगह नहीं है। रणथंभौर के आठ से दस बाघों को जंगल के भीतर एवं सीमा पर जगह नहीं मिलने से वे गांवों के आसपास एवं बाहरी इलाके में भटक रहे हैं।


User: Patrika

Views: 122

Uploaded: 2020-07-15

Duration: 04:53

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