आत्मसम्मान की कीमत पर आसमान नहीं छूती हैं महिलाएं I Damini Yadav I Me Too Movement I Priya Ramani

आत्मसम्मान की कीमत पर आसमान नहीं छूती हैं महिलाएं I Damini Yadav I Me Too Movement I Priya Ramani

जब हम महिला शोषण की तह में जाने की कोशिश करते हैं तो कोई अपना, कोई परिचित, कोई संबंधी, कोई रिश्तेदार, कोई पड़ोसी, कोई विश्वासी, कोई अधिकारी या कोई वरिष्ठ ही उस शोषक के चेहरे में बदल जाता है। एडिशनल चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे द्वारा कही गई ये बातें कि यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को ख़त्म कर देता है; किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की क़ीमत पर नहीं की जा सकती है और सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन शोषण कर सकता है, एक लंबे अर्से तक इस विषय में उदाहरण प्रस्तुत करती रहेंगी। ये तमाम बातें उन्होंने कहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के महिला पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि के मामले में फ़ैसला सुनाते हुए, जिसमें उन्होंने प्रिया रमानी को बरी कर दिया है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण फ़ैसला है, जिसका स्वागत होना चाहिए। इस मामले में प्रिया रमानी शोषक थीं और एमजे अकबर पर शोषण के आऱोप थे, जिसे उन्होंने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा पर आघात बताया था। इस बारे में या इससे मिलती-जुलती कहानियां तो बहुत लंबी-चौड़ी हो सकती है, लेकिन अगर हम महज़ इसी एक मामले की बात करें तो एमजे अकबर पर ऐसा करने के आरोप लगाने वालीं एक नहीं, कई महिलाएं थीं, जो कि ऐसे प्रोफेशन में हैं, जहां वे दूसरी महिलाओं के हितों की आवाज़ बन सकती थीं और उन्होंने ऐसा किया भी, जबकि दूसरी तरफ़ खुद एमजे अकबर ऐसे पदों पर रहे हैं, जहां उनसे किसी एक नहीं, पूरे समाज की आवाज़ बनने की अपेक्षा की जाती है। तब फिर सच इस अपेक्षा से उलट क्यों है? अगर प्रिया रमानी के केस में उन्हें सिर्फ़ आवाज़ उठाने का दोषी मानकर विपरीत फ़ैसला दे दिया जाता तो उस स्थिति का क्या होता, जो मीटू जैसे आंदोलनों की वजह बनती है और एक को देखकर दूसरी कितनी ही महिलाओं को ये हिम्मत मिली है कि वे खुलकर अपनी बात रख सकें। अंजाम बताने की ज़रूरत नहीं है, आप ख़ुद समझ सकते हैं। दरअसल, मीटू सिर्फ़ एक मूवमेंट ही नहीं है, बल्कि मैं भी के ज़रिये वह बताती है कि ऐसी महिला होना विरला ही है, जिसे कभी न कभी, किसी न किसी की नीयत का ख़लल और निगाहों की गंदगी न झेलनी पड़ी हो। महिला शोषण के ये रास्ते अभी भी अपनी मंज़िल की तलाश में रास्तों पर ही भटक रहे हैं, बस ये फ़ैसला एक म?


User: The Wire

Views: 1

Uploaded: 2021-06-03

Duration: 11:16

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