| Garhkundar fort | रहस्यमयी गढ़कुंडार किला: जो दूर से आता है नजर, पास जाते ही हो जाता है गायब (Ep-1)

| Garhkundar fort | रहस्यमयी गढ़कुंडार किला: जो दूर से आता है नजर, पास जाते ही हो जाता है गायब (Ep-1)

| Garhkundar fort | रहस्यमयी गढ़कुंडार किला: जो दूर से आता है नजर, पास जाते ही हो जाता है गायब(Ep-1)br br #GarhKundar #Tikamgarh #Gyanvikvlogs #Fort #TikamgarhFort #KhangarDynasty #गढ़कुंडारकिला #टीकमगढ़ #खेतसिंहखंगार #historyofgarhkundarfort #Orchha #MadhyaPardeshHeritage #Bundelkhand #MysteryofGarhkundar #MysteriousfortinMadhyaPardeshbr br br You can join us other social media br br INSTAGRAMhttps:www.instagram.comgyanvikvlogsbr br FB Page Link br गढ़कुंडार किले का इतिहास:--br यह किला चंदेल काल में चंदेलों का सूबाई मुख्यालय व सैनिक अड्डा था. यशोवर्मा चंदेल (925-40 ई.) ने दक्षिणी-पश्चिमी बुंदेलखंड को अपने अधिकार में कर लिया था. इसकी सुरक्षा के लिए गढ़कुंडार किले में कुछ निर्माण कराया गया था. इसमें किलेदार भी रखा गया.1182 में चंदेलों-चौहानों का युद्ध हुआ, जिसमें चंदेल हार गए. इसमें गढ़कुंडार के किलेदार शियाजू पवार की जान चली गई. इसके बाद ही यहां नायब किलेदार खेत सिंह खंगार ने खंगार राज्य स्थापित कर दिया. 1182 से 1257 तक यहां खंगार राज रहा. इसके बाद बुंदेला राजा सोहन पाल ने यहाँ खुद को स्थापित कर लिया. 1257 से 1539 ई. तक यानी 283 साल तक इस पर बुंदेलों का शासन रहा. इसके बाद यह किला वीरान होता चला गया.1605 के बाद ओरछा के राजा वीर सिंह देव ने गढ़कुंडार की सुध ली. और जीर्णोधार कराया. 13वीं से 16 वीं शताब्दी तक यह बुंदेला शासकों की राजधानी रही. 1531 में राजा रूद्र प्रताप देव ने गढ़ कुंडार से अपनी राजधानी ओरछा बना ली.br br खंगारों को जाता है नई पहचान देने का श्रेयbr br गढ़कुंडार किले के पुनर्निर्माण और इसे नई पहचान देने का श्रेय खंगारों को है. खेत सिंह गुजरात राज्य के राजा रूढ़देव का पुत्र था. रूढ़देव और पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर सिंह अभिन्न मित्र हुआ करते थे. इसके चलते पृथ्वीराज चौहान और खेत सिंह बचपन से ही मित्र हो गए. राजा खेत सिंह की गिनती पृथ्वीराज के महान सेनापतियों में की जाती थी. इस बात का उल्लेख चंदबरदाई के रासो में भी है.


User: Gyanvik vlogs

Views: 50

Uploaded: 2022-04-01

Duration: 09:54

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