एक युवक, जिसे अपने पैजामे और नाड़े पर गज़ब भरोसा था || आचार्य प्रशांत (2023)

एक युवक, जिसे अपने पैजामे और नाड़े पर गज़ब भरोसा था || आचार्य प्रशांत (2023)

br ~ कार्य कारण से बड़ा क्यों नहीं हो सकता?br ~ जो हमारी कल्पना से उठा है वो हमसे बड़ा तो हो नहीं सकता।br ~ जो हमारे मन से रचा है वो हमसे बड़ा तो हो नहीं सकता।br ~ जो हमसे बड़ा नहीं वो हमें कैसे बचा सकता है?br ~ अपने नाड़े के भरोसे प्रकृति के प्रवाह में न बहें।br ~ अहम और प्रकृति को अस्तित्वगत समझना आभासिक द्वैत है जो कि मूल सत्य को नहीं जानने देता।br ~ नई पीढ़ी का ये सौभाग्य होता है कि उसके पास पुरानी सब पीढ़ियों का ज्ञान उपलब्ध होता है।br br संगीत: मिलिंद दातेbr ~~~~~


User: आचार्य प्रशान्त

Views: 1

Uploaded: 2024-02-08

Duration: 42:33