अष्टावक्र गीता 1 - आत्म-साक्षात्कार का उपदेश - श्लोक 2 . यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो।

अष्टावक्र गीता 1 - आत्म-साक्षात्कार का उपदेश - श्लोक 2 . यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो।

*यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो। *br *प्रसाद भारद्वाज*br br *"अष्टावक्र गीता" - प्रथम अध्याय, द्वितीय भाग, मोक्ष साधना में नैतिक मूल्यों और शांत मन की महत्ता को स्पष्ट करती है। अष्टावक्र महर्षि, विषय भोगों को विषतुल्य मानकर त्यागने और क्षमा, दया, ऋजु व्यवहार, संतोष जैसे गुणों को अमृत समान आचरण करने का उपदेश देते हैं। आत्म साधना के लिए शांत मन और विवेक बुद्धि की आवश्यकता और इस यात्रा में उनकी महत्ता को इस वीडियो में जानें।*br br #अष्टावक्रगीता, #आध्यात्मिकता, #नैतिकमूल्य, #शांतमन, #मोक्ष, #क्षमा, #दया, #संतोष, #आत्मान्वेषण, #ज्ञान, #आध्यात्मिकउपदेश।


User: Chaitanya Vijnaanam

Views: 2

Uploaded: 2024-10-10

Duration: 06:55

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