दूसरों के शरीर को ऐसे नहीं छुआ जाता, दूसरों की ज़िंदगी में ऐसे नहीं घुसा जाता|| आचार्य प्रशांत(2024)

दूसरों के शरीर को ऐसे नहीं छुआ जाता, दूसरों की ज़िंदगी में ऐसे नहीं घुसा जाता|| आचार्य प्रशांत(2024)

वीडियो जानकारी: 26.10.24, गीता दीपोत्सव, ग्रेटर नॉएडाbr br दूसरों की ज़िंदगी में ऐसे नहीं घुसा जाता।|| आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)br br 📋 Video chapters: br br 0:00 - Introbr 1:12 - सार्वजनिक स्थानों में भारतीय व्यवहार पर चर्चाbr 4:58 - व्यक्तित्व और धर्म का सिद्धांतbr 9:54 - सामाजिक मानदंडों का Personal Space पर प्रभावbr 11:40 - शादी का Cultural संदर्भbr 15:03 - मानव व्यवहार की तुलना Animal Behavior सेbr 20:11 - स्वच्छता और Health का महत्वbr 23:53 - रिश्तों में सीमाओं की आवश्यकताbr 25:00 - व्यक्तिगत स्थान का Mental Health पर प्रभावbr 27:28 - निष्कर्ष और Final Thoughtsbr br br विवरण: br इस संवाद में प्रश्नकर्ता ने आचार्य प्राशांत से Indians की व्यक्तिगत स्थान (Personal Space) की समझ पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जब भारतीय लोग public places पर होते हैं, तो उनकी आवाज़ें तेज होती हैं और वे दूसरों की privacy का सम्मान नहीं करते। आचार्य जी ने इस पर सहमति जताई और कहा कि भारतीय संस्कृति में व्यक्तिगत स्थान का कोई महत्व नहीं है।br br प्रश्नकर्ता ने उदाहरण दिया कि कैसे भारतीय लोग flights में बगल की सीट पर अधिक जगह घेर लेते हैं और सार्वजनिक स्थानों पर शोर मचाते हैं। आचार्य जी ने इसे समाज की धार्मिकता और संस्कृति से जोड़ा, यह बताते हुए कि मनुष्य एक धार्मिक प्राणी है, लेकिन वास्तविक धर्म की समझ बहुत कम लोगों को है।br br उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में निजता का सम्मान नहीं किया जाता, क्योंकि अधिकांश लोग अपनी पहचान और individuality को खो चुके हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि जब तक हम अपनी व्यक्तिगत गरिमा और आत्मा की पहचान नहीं करेंगे, तब तक दूसरों की निजता का सम्मान करना मुश्किल होगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत स्थान की कद्र करना और दूसरों की privacy का सम्मान करना civilization का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।br br br 🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:br ...


User: आचार्य प्रशान्त

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Uploaded: 2025-01-04

Duration: 38:09

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