VID-20250216-WA0018

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Gopi Prembr आचार्यं मां विजानीयान्नावमन्येत कर्हिचित्।br न मर्त्यबुद्धयासूयेत सर्वदेवमयो गुरु:।।br ( भाग. ११-१७-२७)br भगवान् ने उद्धव से कहा था,उद्धव ! जो वास्तविक गुरु हो, मिल जाय तुमको,तो उसको मेरा ही रुप समझो, मेरे बराबर नहीं, मेरा ही रुप।' आचार्यं माम् ' मैं ही हूँ ऐसा मानो ह्रदय से।' नावमन्येत ' कभी भी अपमान न करना,मन से भी और ' न मर्त्यबुद्धया 'मनुष्य की बुद्धि मत लाना उनमें।अरे कभी-कभी हम लोग करते हैं ऐसा कमाल।हमारी तरह ये खाते हैं पीते हैं,हँसते हैं,चलते हैं,फिरते हैं,इनके भी बाल बच्चे हैं।हाँ थोड़ा काबिल हैं।यहाँ आ जाते हैं।फिर कोई अलौकिक चीज का अनुभव किया,अरे नहीं नहीं नहीं ये स्प्रिचुअल हैं।ये हम लोग अप डाउन हुआ करते हैं।तो उद्धव ! ऐसा नहीं करना-br ' सर्वदेवमयो गुरु: 'br ( भाग.११-१७-२७)br जितनी मेरी शक्तियाँ हैं उद्धव ! वो सब गुरु में रहती हैं।तो अगर तुमने गुरु का अपमान किया,तो मेरी सारी शक्तियों का अपमान कर दिया तुमने,इतना बड़ा अपराध किया।br फिर भगवान् कहते हैं-br नाहमिज्या प्रजातिभ्यां तपसोपशमेन वा।br तुष्येयं सर्वभूतात्मा गुरुशुश्रूषया यथा।।br ( भाग.


User: Mohini

Views: 4

Uploaded: 2025-02-16

Duration: 02:52

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