VID-20250309-WA0005

VID-20250309-WA0005

लाल सँग, खेलिय हिल मिल फाग |br चलु री सखी ! भव - निशा सिरानी, भई भोर गइ जाग |br केशर घोर भाव की गोरी !, पिचकारी अनुराग |br पानि तानि मारिय दृग - बानन, सहज पिया – रस - पाग |br रति – रस – रँग - सरबोरी गोरी, लखु अपुनो बड़भाग |br इमि *‘कृपालु’* करि उर – पट - बंदी, करु निज अमर सुहाग ||br br *भावार्थ* - *( जीवरूपी सखी की ब्रह्म श्यामसुन्दर के साथ प्रेम होली )* br अरी जीव - रूपी सखी ! अब तो तेरी मायारूपी रात्रि बीत चुकी है एवं प्रात:काल हो चुका है तथा तू जाग भी गई है | अतएव चल ! श्यामसुन्दर के साथ दिव्य होली खेल आवें | देख सखी ! भाव रूपी केशर के रंग को अनुराग – रूपी पिचकारी में भरकर आँखों के कटाक्षरूपी हाथ से प्रियतम श्यामसुन्दर पर फेंकती हुई सहज ही प्रियतम के प्रेम में विभोर हो एवं उनके द्वारा भी रति - रस के रंग में सराबोर होकर परम भाग्यशालिनी बन जा |br *‘श्री कृपालु जी’* कहते हैं कि इस प्रकार श्यामसुन्दर को अपने हृदय में बंदी बनाकर सदा के लिए अपना सुहाग अमर कर ले |br br 🌹 *प्रेम रस मदिरा होरी – माधुरी*🌹br br #mahakumbh #gopiprem #premmandir #vrindavanvibes #jagadgurushrikripalujimaharaj #radhakrishna


User: Neelam Pandey

Views: 2

Uploaded: 2025-03-09

Duration: 00:15

Your Page Title