श्री जगन्नाथ अष्टकम् –आदि शंकराचार्य रचित | Shri Jagannath Ashtakam #जगन्नाथ #Jagannath #पुरी #puri

श्री जगन्नाथ अष्टकम् –आदि शंकराचार्य रचित | Shri Jagannath Ashtakam #जगन्नाथ #Jagannath #पुरी #puri

श्री जगन्नाथ अष्टकम् का सारांशbr br श्री जगन्नाथ अष्टकम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अत्यंत भावपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) के दिव्य स्वरूप, लीला, करुणा और भक्ति की महिमा का वर्णन आठ श्लोकों में किया गया है। प्रत्येक श्लोक की अंतिम पंक्ति — “जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे” — भक्त की गहन प्रार्थना है कि भगवान सदा उसकी दृष्टि में विराजमान रहें।br br • जब आदि शंकराचार्य पहली बार पुरी धाम पहुँचे और भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए, तो उनकी दिव्यता से अभिभूत होकर उन्होंने यह अष्टकम रचा।br • यह स्तोत्र वैष्णव भक्ति परंपरा में अत्यंत पूजनीय है और चैतन्य महाप्रभु भी इसका गान करते थे।br श्लोक संख्या भावार्थbr 1 यमुना तट पर गोपियों संग लीला करते श्रीकृष्ण का मधुर रूपbr 2 बांसुरी, मोरपंख और कटाक्ष से सजी वृंदावन की छविbr 3 पुरी में बलभद्र और सुभद्रा संग विराजमान जगन्नाथbr 4 करुणा के सागर, कमलमुख, वेदों द्वारा स्तुत भगवानbr 5 रथयात्रा में भक्तों की स्तुति सुनकर प्रसन्न होते प्रभुbr 6 नीलांचल निवासी, राधा के प्रेम में रसानंदित श्रीकृष्णbr 7 सांसारिक सुखों की कामना नहीं, केवल प्रभु-दर्शन की अभिलाषाbr 8 संसार और पापों से मुक्ति की प्रार्थना, प्रभु के चरणों में समर्पणbr आध्यात्मिक महत्वbr • यह स्तोत्र दर्शनयोग और प्रेमभक्ति का अद्भुत संगम हैbr • पाठ करने से पापों का नाश, मानसिक शांति, और विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैbr • विशेष रूप से रथयात्रा, पुरी यात्रा, या श्रावण मास में इसका पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता हैbr br Explore the divine Shri Jagannath Ashtakam composed by Adi Shankaracharya. Discover its spiritual meaning, eight-verse structure, and how it brings peace, devotion, and liberation through Lord Jagannath’s grace.


User: vibrationasmind

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Uploaded: 2025-07-19

Duration: 04:46

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