पृथ्वी बर्बाद
हम इतने हिंसक क
आज क्रांति की ज
पैसे कमाना धार
मन को मुक्ति की
सच को सम्मान दो,
शरीर मेरे लिए ह
विवाह के लिए सा
स्थायी खुशी कै
भारत इतना गंदा
असली धर्म क्या
कर्ज़ पर मज़े! ||
तेज़ बोलने वाल
हम और आप एक ही न
माँ-बाप से दोस्
थोड़े में संतुष
बाप को जवाब देत
दलित वर्ग का शो
हम नहीं सुधरें
गीता भी असफल हो
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